नई दिल्ली/गांधीनगर : गुजरात के भावी सीएम विजय रुपानी ने गुजरात के राज्यपाल ओपी कोली से मुलाकात की. उन्होंने सरकार बनाने का अपना दावा पेश किया. उनके साथ इस दौरान डिप्टी सीएम नितिन पटेल और अन्य बड़े नेता भी मौजूद थे. रुपानी गुजरात के सीएम के पद पर कल ‘विजय मुहुर्त’ में दोपहर बाद 12 बजकर 39 मिनट पर पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे.
नितिन पटेल शुक्रवार को सीएम बनते बनते डिप्टी सीएम बन गये
गौरतलब है कि नितिन पटेल शुक्रवार को सीएम बनते बनते डिप्टी सीएम बन गये. रविवार को गुजरात में नई सरकार का शपथ ग्रहण होना है. लेकिन, नितिन पटेल के नाम पर विरोधियों ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है. विरोधी इसे पटेल समाज का अपमान बता रहे हैं. इसे लेकर गुजरात की राजनीति गरमा भी सकती है.
रूपानी के नाम की तो कल दिन भर कहीं चर्चा भी नहीं
विजय रूपानी के नाम की तो कल दिन भर कहीं चर्चा भी नहीं थी. नितिन पटेल को तो सिर्फ अपने नाम के औपचारिक एलान का इंतजार था. लेकिन, शाम को नितिन पीछे छूट गये और पार्टी ने रूपानी को गुजरात की गद्दी पर बिठाने का फैसला ले लिया. और यहीं से सज गया रूपानी के सिर पर ‘कांटों का ताज’.
सीएम की कुर्सी नितिन पटेल को परोसकर छीन ली गई
ऐसा इसलिए क्योंकि सीएम की ये कुर्सी जिन नितिन पटेल को परोसकर छीन ली गई. उनके नाम पर राजनीति शुरू हो गई है. कोई इसे पटेलों का अपमान कह रहा है. तो कोई उनसे डिप्टी सीएम की कुर्सी नहीं लेने की अपील. आम आदमी पार्टी के आशुतोष तो इससे भी एक कदम आगे हैं. उन्होंने इस मामले में ट्वीट किया है.
आप के आशुतोष ने किया ट्वीट, पटेल राजनीति को लेकर बयान
आशुतोष के अनुसार ‘नितिन पटेल को गुजरात का सीएम क्यों नहीं बनाया गया ? पटेल समुदाय आने वाले दिनों में ये सवाल पूछेगा ? पहले केशुभाई का अपमान, फिर आनंदी का अपमान और अब नितिन पटेल…क्यों ?’ विरोधियों के साथ पार्टी के अंदर भी इस तरह के बातों की चर्चा है.
पटेल भावी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों से बधाइयां ले रहे थे
अपमान का सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है क्योंकि कल दिन भर नितिन पटेल भावी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों से बधाइयां ले रहे थे. और शाम को हाथ आई उप मुख्यमंत्री की कुर्सी. सूत्रों के मुताबिक विधायकों की बैठक में रूपानी के नाम पर राय नहीं बन पाई थी. लेकिन, अमित शाह के गुणा-गणित के बाद रूपानी का नाम फाइनल हुआ.
गुजरात में 22 साल से बीजेपी की सरकार है
गुजरात में 22 साल से बीजेपी की सरकार है. यहां अगले साल चुनाव होने हैं. विपक्ष की कोशिश नितिन पटेल के बहाने पटेल समुदाय को अपने पाले में करने की होगी. ऐसे में रूपानी के लिए अब हर दिन कांटों से गुजरने जैसा होगा. इसके साथ ही पहले से ही सुलग रहा पटेल आंदोलन फिर से भड़क सकता है.
नितिन पटेल शुक्रवार को सीएम बनते बनते डिप्टी सीएम बन गये
गौरतलब है कि नितिन पटेल शुक्रवार को सीएम बनते बनते डिप्टी सीएम बन गये. रविवार को गुजरात में नई सरकार का शपथ ग्रहण होना है. लेकिन, नितिन पटेल के नाम पर विरोधियों ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है. विरोधी इसे पटेल समाज का अपमान बता रहे हैं. इसे लेकर गुजरात की राजनीति गरमा भी सकती है.
रूपानी के नाम की तो कल दिन भर कहीं चर्चा भी नहीं
विजय रूपानी के नाम की तो कल दिन भर कहीं चर्चा भी नहीं थी. नितिन पटेल को तो सिर्फ अपने नाम के औपचारिक एलान का इंतजार था. लेकिन, शाम को नितिन पीछे छूट गये और पार्टी ने रूपानी को गुजरात की गद्दी पर बिठाने का फैसला ले लिया. और यहीं से सज गया रूपानी के सिर पर ‘कांटों का ताज’.
सीएम की कुर्सी नितिन पटेल को परोसकर छीन ली गई
ऐसा इसलिए क्योंकि सीएम की ये कुर्सी जिन नितिन पटेल को परोसकर छीन ली गई. उनके नाम पर राजनीति शुरू हो गई है. कोई इसे पटेलों का अपमान कह रहा है. तो कोई उनसे डिप्टी सीएम की कुर्सी नहीं लेने की अपील. आम आदमी पार्टी के आशुतोष तो इससे भी एक कदम आगे हैं. उन्होंने इस मामले में ट्वीट किया है.
आप के आशुतोष ने किया ट्वीट, पटेल राजनीति को लेकर बयान
आशुतोष के अनुसार ‘नितिन पटेल को गुजरात का सीएम क्यों नहीं बनाया गया ? पटेल समुदाय आने वाले दिनों में ये सवाल पूछेगा ? पहले केशुभाई का अपमान, फिर आनंदी का अपमान और अब नितिन पटेल…क्यों ?’ विरोधियों के साथ पार्टी के अंदर भी इस तरह के बातों की चर्चा है.
पटेल भावी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों से बधाइयां ले रहे थे
अपमान का सवाल इसलिए भी उठाया जा रहा है क्योंकि कल दिन भर नितिन पटेल भावी मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों से बधाइयां ले रहे थे. और शाम को हाथ आई उप मुख्यमंत्री की कुर्सी. सूत्रों के मुताबिक विधायकों की बैठक में रूपानी के नाम पर राय नहीं बन पाई थी. लेकिन, अमित शाह के गुणा-गणित के बाद रूपानी का नाम फाइनल हुआ.
गुजरात में 22 साल से बीजेपी की सरकार है
गुजरात में 22 साल से बीजेपी की सरकार है. यहां अगले साल चुनाव होने हैं. विपक्ष की कोशिश नितिन पटेल के बहाने पटेल समुदाय को अपने पाले में करने की होगी. ऐसे में रूपानी के लिए अब हर दिन कांटों से गुजरने जैसा होगा. इसके साथ ही पहले से ही सुलग रहा पटेल आंदोलन फिर से भड़क सकता है.
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