नई दिल्लीः वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संसोधन विधेयक पर बुधवार को राज्यसभा में चर्चा होगी. तमाम राजनीतिक दलों और राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार ने विधेयक में मुख्य तौर पर चार प्रस्तावो में फेरबदल की योजना बनायी है.
राज्यसभा में अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस हफ्ते संसद से जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक पर मुहर लग जाएगी. राजनीतिक सहमति बनाने के मकसद से मूल विधेयक में कई फेरबदल लाने की योजना में जिसमें से प्रमुख चार कुछ इश तरह है:
– 1 फीसदी अतिरिक्त कर हटाने का प्रस्ताव होगा. मूल विधेयक में मैन्युफैक्चरिंग राज्यों को फायदा पहुंचाने के मकसद से तीन वर्षों तक राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर 1 फीसदी की दर से अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रस्ताव था.
– जीएसटी लागू होने के बाद किसी तरह के नुकसान की सूरत में पांच सालों तक शत प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा. मूल विधेयक में पहले तीन साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रस्ताव था.
– विवाद सुलझाने की नयी व्यवस्था बनेगी जिसमें राज्यों आवाज बुलंद होगी. पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान पर आधारित था जिसमें दो तिहाई मत राज्यों और एक तिहाई केद्र के पास होगा.
– एक नए प्रस्ताव के जरिए जीएसटी दर का ऐसा मूल सिद्धांत लाया जाएगा जाएगा जो राज्यों के साथ-साथ आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा देगा.
वैसे संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा मंगलवार को होन थी. लेकिन वाराणसी में कांग्रेस अध्याक्षा सोनिया गांधी की रैली और उसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के शामिल होने की वजह से इसे बुधवार तक टाल दिया गया.
संसद के दोनों सदनों से संविधान संशोधन विधेयक के मंजूरी मिलने के बाद उस पर कम से कम 15 राज्यों के विधानसभाओं की मंजूरी चाहिए होगी. फिर राष्ट्पति बिल पर हस्ताक्षर करेंगे जिससे ये कानून बन सकेगा. इसके बाद केंद्र सरकार को सेंट्रल जीएसटी और राज्य सरकारों को स्टेट जीएसटी से जुड़ा कानून बनाना होगा. साथ ही केंद्र सरकार को इंटिग्रेटेड जीएसटी के लिए अलग से कानून बनाना होगा.
ये सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जीएसटी के नियम बनाए जाएंगे जिस पर काम पहले से ही चालू है. केंद्र सरकार की योजना अगले साल पहली अप्रैल से जीएसटी लागू करने की है. सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू हुआ तो जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है और पूरे देश में कारोबार करना और आसान हो जाएगा.
राज्यसभा में अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस हफ्ते संसद से जीएसटी लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक पर मुहर लग जाएगी. राजनीतिक सहमति बनाने के मकसद से मूल विधेयक में कई फेरबदल लाने की योजना में जिसमें से प्रमुख चार कुछ इश तरह है:
– 1 फीसदी अतिरिक्त कर हटाने का प्रस्ताव होगा. मूल विधेयक में मैन्युफैक्चरिंग राज्यों को फायदा पहुंचाने के मकसद से तीन वर्षों तक राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर 1 फीसदी की दर से अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रस्ताव था.
– जीएसटी लागू होने के बाद किसी तरह के नुकसान की सूरत में पांच सालों तक शत प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा. मूल विधेयक में पहले तीन साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई का प्रस्ताव था.
– विवाद सुलझाने की नयी व्यवस्था बनेगी जिसमें राज्यों आवाज बुलंद होगी. पहले विवाद सुलझाने की व्यवस्था मतदान पर आधारित था जिसमें दो तिहाई मत राज्यों और एक तिहाई केद्र के पास होगा.
– एक नए प्रस्ताव के जरिए जीएसटी दर का ऐसा मूल सिद्धांत लाया जाएगा जाएगा जो राज्यों के साथ-साथ आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा देगा.
वैसे संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा मंगलवार को होन थी. लेकिन वाराणसी में कांग्रेस अध्याक्षा सोनिया गांधी की रैली और उसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के शामिल होने की वजह से इसे बुधवार तक टाल दिया गया.
संसद के दोनों सदनों से संविधान संशोधन विधेयक के मंजूरी मिलने के बाद उस पर कम से कम 15 राज्यों के विधानसभाओं की मंजूरी चाहिए होगी. फिर राष्ट्पति बिल पर हस्ताक्षर करेंगे जिससे ये कानून बन सकेगा. इसके बाद केंद्र सरकार को सेंट्रल जीएसटी और राज्य सरकारों को स्टेट जीएसटी से जुड़ा कानून बनाना होगा. साथ ही केंद्र सरकार को इंटिग्रेटेड जीएसटी के लिए अलग से कानून बनाना होगा.
ये सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जीएसटी के नियम बनाए जाएंगे जिस पर काम पहले से ही चालू है. केंद्र सरकार की योजना अगले साल पहली अप्रैल से जीएसटी लागू करने की है. सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू हुआ तो जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है और पूरे देश में कारोबार करना और आसान हो जाएगा.
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